आज की कहानी मध्यप्रदेश के खंडवा जिले के कालंका गांव के रहने वाले रामचंद्र पटेल की। रामचंद्र महज 12वीं तक पढ़े हैं, लेकिन आज वे खेती से लाखों कमा रहे हैं। करीब 25 साल पहले उन्होंने अरबी की खेती शुरू की थी। अब वे दिल्ली, मुंबई समेत कई शहरों में अपना प्रोडक्ट सप्लाई करते हैं। पिछले साल उन्होंने 60 लाख रुपए से ज्यादा की कमाई की है।
48 साल के रामचंद्र एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। वे कहते हैं, 'मैं तीन भाइयों में सबसे बड़ा था। पिताजी अकेले खेती संभाल नहीं पाते थे और घर में पैसों की भी तंगी थी। मैं नहीं चाहता था कि मेरे दोनों भाई खेती करें, इसलिए खुद खेती करने का फैसला लिया। तब हमारे पास बहुत ज्यादा जमीन नहीं थी। पिताजी पारंपरिक खेती करते थे। इसमें कोई खास मुनाफा नहीं हो रहा था। फिर मैंने सोचा कि क्यों न कुछ ऐसे प्लांट्स की खेती की जाए जिसके लिए जमीन की जरूरत भी कम हो और मुनाफा भी ज्यादा हो।'
वे कहते हैं, 'उस वक्त मेरे मामा के यहां अरबी की खेती होती थी और वे लोग सम्पन्न भी थे। मैंने भी तय किया कि एक बार अरबी को भी आजमा कर देखा जाए। फिर मैं मामा से एक बोरी अरबी लेकर गांव आया और अपने उसे खेत में लगा दिया। जब गांव वालों को पता चला तो उन्होंने कहा कि यहां अरबी की खेती संभव नहीं है। तुम्हारे पास जो थोड़ी-सी जमीन है, उसे भी खराब कर रहे हो। लेकिन मैं पीछे हटने वाला नहीं था। सोचा, जो भी होगा, देखा जाएगा।'
वे कहते हैं कि पहले साल ही मेरी मेहनत रंग लाई और एक बोरी से 40 बोरी अरबी का उत्पादन हुआ। इससे मेरा मनोबल बढ़ गया। मैंने बाकी जो थोड़ी जमीन थी, उस पर भी अरबी लगा दी। इसी तरह साल दर साल मैं इसका दायरा बढ़ाता गया। आज 20 एकड़ जमीन पर मैं अरबी की खेती कर रहा हूं। पिछले साल 3 हजार बोरी अरबी का प्रोडक्शन हमने किया था।
रामचंद्र बताते हैं कि मार्केटिंग को लेकर मुझे कोई खास परेशानी नहीं हुई। पहली बार हमने अपना प्रोडक्ट इंदौर भेजा था। उन्हें पसंद आया तो हम अपने प्रोडक्ट की रेगुलर सप्लाई करने लगे। इसी तरह हमने आस-पास की मंडियों में भी अप्रोच किया और वो भी हमारे उत्पाद लेने लगे। अभी कई सब्जी बेचने वाले खेत से ही अरबी उठा ले जाते हैं।
अरबी की खेती कैसे करें?
अरबी की खेती खरीफ और रबी दोनों मौसम में कर सकते हैं। खरीफ फसल की बुवाई जून- जुलाई में की जाती है। जो दिसंबर और जनवरी महीने तक तैयार हो जाती है। वहीं रबी सीजन की फसल अक्टूबर में लगाई जाती है। जो अप्रैल- मई तक तैयार हो जाती है। इसकी खेती के लिए लाल दोमट मिट्टी काफी अच्छी मानी जाती है। एक एकड़ जमीन में अरबी की खेती के लिए 4-5 ट्रॉली गोबर खाद की जरूरत होती है। साथ ही जरूरत के हिसाब से रासायनिक खाद भी इसमें लगता है।
खेत की जुताई के बाद उसमें गोबर खाद को अच्छी तरह से मिलाया जाता है। इसके बाद एक फुट की दूरी पर बीज लगाकर मिट्टी से ढंक दिया जाता है। ध्यान रहे कि बीज साफ-सुथरे और स्वस्थ होने चाहिए। इसके लिए हर चार-पांच दिन में सिंचाई की जरूरत होती है। बरसात और ठंड में पानी की जरूरत कम होती है।
एक एकड़ से लाख रुपए कमा सकते हैं
रामचंद्र बताते हैं कि प्रति एकड़ अरबी की खेती से लाख रुपए की कमाई हो सकती है। अगर बाजार में दाम सही मिला, तो इससे ज्यादा की भी कमाई हो सकती है। एक एकड़ जमीन पर अरबी की खेती के लिए 60 हजार रु खर्च होते हैं। वो कहते हैं शहरी क्षेत्रों में अरबी के पत्तों की भी अच्छी-खासी डिमांड होती है। अरबी के साथ धनिया और दूसरी सब्जियों की भी खेती की जा सकती है।
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
source https://www.bhaskar.com/db-original/news/due-to-lack-of-money-he-had-to-give-up-studies-after-12th-today-earning-rs-60-lakhs-annually-from-arabic-farming-128100973.html
No comments:
Post a Comment