'मैं, कतर में बीते दस सालों से नौकरी कर रहा था। पेशे से मेल नर्स हूं। एक लाख रुपए सैलरी थी, लेकिन परिवार से दूर रहना पड़ रहा था। फैमिली को बहुत मिस करता था। इसलिए नौकरी छोड़कर केरल आ गया और अब कमल की खेती कर रहा हूं।' यह कहना है, एल्डहोस पी राजू का। वे बीते 9 महीने में ही कमल की खेती से महीने का 30 से 35 हजार रुपए कमाने लगे हैं और जल्द ही अपने बिजनेस को बढ़ाने वाले हैं। उन्होंने हमारे साथ खुद की मेल नर्स से किसान बनने की कहानी शेयर की।
परिवार को मिस करता था, इसलिए नौकरी छोड़ दी
मैं केरल का रहने वाला हूं। एर्नाकुलम से नर्सिंग की पढ़ाई की। कोर्स पूरा होने के बाद नौकरी ढूंढने कोलकाता गया था, लेकिन वहां काम नहीं मिला। फिर मुंबई चला गया। वहां एक हॉस्पिटल में 3 साल नौकरी की। वहीं से कतर का एक इंटरव्यू कंडक्ट हो गया, तो वहां चला गया। पैसा अच्छा मिल रहा था, तो वहीं काम करने लगा। परिवार केरल में ही था। अच्छी सैलेरी के बावजूद परिवार से दूर होने का अफसोस था। अक्सर परिवार की याद सताती थी। बार-बार आना भी पॉसिबल नहीं था, इसलिए मैंने 2019 में नौकरी से इस्तीफा दे दिया और अपने घर लौट आया।
जब इस्तीफा दिया था, तो सोचा था कि मुझे दस साल का एक्सपीरियंस है। नौकरी तो कहीं न कहीं मिल ही जाएगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। जनवरी 2020 से लॉकडाउन लगने के पहले तक मैं जॉब की तलाश में इधर-उधर घूमता रहा। केरल आकर मैंने रजिस्ट्रेशन भी करवाया। जुड़े हुए पैसे भी खत्म होने लगे थे और चिंता सताने लगी थी कि अब परिवार को कैसे पालूंगा, क्योंकि घर में ही मैं ही कमाने वाला हूं।
गार्डनिंग का शौक था, इसी से आया कमल का आइडिया
गार्डनिंग का शौक मुझे बचपन से ही रहा है। मैं अलग-अलग वैरायटी के कमल खरीदकर घर में रखता था। मार्च में ख्याल आया कि क्यों न कमल ही ऑनलाइन सेल करूं। मैंने घर की छत पर ही गार्डन बना रखा है। 40 से ज्यादा वैरायटी के कमल हैं, जिसमें कई दूसरे देशों के भी हैं। ये आइडिया आने के बाद मैंने यूट्यूब पर कमल की खेती से जुड़े वीडियो देखे। इससे मुझे और ज्यादा आइडिया मिला कि बेहतर फार्मिंग कैसे कर सकता हूं।
कमल की काफी वैरायटी मेरे पास पहले से थीं। कुछ थाइलैंड, यूरोप और अमेरिका से भी इम्पोर्ट कीं। करीब 50 हजार रुपए पूरे काम में इंवेस्ट किए। मैं पेड प्रमोशन में नहीं जाना चाहता था। मैंने फेसबुक, इंस्टाग्राम पर एक पेज बनाया और उसमें हर रोज कमल की फोटोज शेयर करने लगा। सोशल मीडिया पर लोटस से जुड़े जो ग्रुप्स थे, उनमें भी शेयरिंग शुरू की। कुछ दिनों बाद मुझे पहला कॉल गुजरात से आया। उन्हें एक फ्लॉवर बहुत पसंद आया था, जिसे वे अपने घर पर लगाना चाहते थे। वही मेरे पहले ग्राहक बने। फिर दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, पुणे जैसे तमाम शहरों से कॉल आना शुरू हो गए।
मेरे पास सिर्फ जड़ ही नहीं, बल्कि पूरे प्लांट की डिमांड ज्यादा आ रही थी। ऑर्डर मिलने के बाद मैं गमले से गंदगी साफ करता हूं। पानी हटाता हूं। फिर पैक करके कस्टमर तक पहुंचाता हूं। वो कहते हैं, पैक करने के बाद प्लांट करीब 12 दिनों तक सर्वाइव कर सकता है और जड़ इससे भी ज्यादा दिनों तक अच्छी रहती है। कस्टमर इसे लेते ही रिप्लांट करते हैं। प्लांट को कैसे लगाना है, उसकी देखरेख कैसे करना है, इस बारे में भी जानकारी देता हूं।
एल्डहोस अभी अपने 1300 स्क्वायर फीट की छत पर प्लांटिंग कर रहे हैं। लेकिन जल्द ही यह दायरा बढ़ाने वाले हैं। कहते हैं, मेरे पास बहुत कॉल आ रहे हैं और मैं डिलेवरी भी नहीं दे पा रहा। अभी महीने का 30 से 35 हजार रुपए आ जाता है, लेकिन स्टॉक बढ़ेगा, तो इनकम भी बढ़ जाएगी। एल्डहोस के मुताबिक, कमल देखकर मुझे खुशी मिलती है। पैसा तो आते-जाते रहता है, लेकिन ये खुशी जरूरी है। एल्डहोस के पास विदेश से भी कई कॉल आए हैं, लेकिन अभी वो देश में ही डिलेवरी टाइम पर देने पर काम कर रहे हैं।
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source https://www.bhaskar.com/db-original/news/eldhos-returned-to-kerala-from-qatar-leaving-a-job-of-one-lakh-now-growing-lotus-on-the-roof-of-the-house-127970790.html
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