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Sunday, 6 December 2020

2,664 करोड़ रुपए की संपत्ति, 18 हिस्सेदार; जानें क्या था रामपुर के शाही परिवार के बीच संपत्ति का विवाद?

उत्तर प्रदेश में इस वक्त राम का नाम दो वजहों से सुर्खियों में है। पहली तो ये कि अयोध्या में राम का मंदिर बनने का काम शुरू हो गया है और दूसरी ये कि रामपुर के शाही परिवार की संपत्ति का वैल्यूएशन हो चुका है। रामपुर शाही परिवार की पूरी संपत्ति 2 हजार 664 करोड़ रुपए आंकी गई है। ये संपत्ति बराबर 16 हिस्सेदारों में बंटेगी। लेकिन ये विवाद क्या था? रामपुर शाही परिवार का इतिहास क्या है? आइए जानते हैं...

रामपुर का इतिहास क्या है?

  • रामपुर उत्तर प्रदेश के रुहेलखंड का एक शहर है। इसकी स्थापना नवाब अली मोहम्मद खान ने की थी। नवाब अली मोहम्मद खान सरदार दाउद खान के गोद लिए बेटे थे, जो रोहिल्ला के सरदार थे। रोहिल्ला अफगानी थी, जो 18वीं सदी में उस समय भारत आए थे, जब यहां मुगल साम्राज्य खत्म हो रहा था। यहां आते ही दाउद खान ने रुहेलखंड पर कब्जा कर लिया, जिसे उस समय कटेहर के नाम से जाना जाता था।
  • 1737 में नवाब मोहम्मद अली खान ने कटेहर का साम्राज्य मोहम्मद शाह से जीत लिया। लेकिन 1746 में अवध के राजा नवाब वजीर से हारने के बाद सबकुछ गंवा भी दिया। दो साल बाद 1748 में अहमद शाह दुर्रानी की मदद से फिर से कटेहर पर कब्जा कर लिया। अहमद शाह दुर्रानी अफगानिस्तान का राजा था।
  • शुरुआत में रामपुर राजघराना एक कबीले की तरह था। लेकिन अगली दो सदियों में अंग्रेजों की मदद से भारत का सबसे अमीर राजघराना बन गया। उसके बाद 1774 से 1949 तक नवाबों ने रामपुर पर राज किया।
रामपुर के नवाब का ताज। इसमें हीरे जड़े थे।

आजादी के बाद शुरू हुआ संपत्ति का विवाद

  • आजादी के बाद 1949 में रामपुर रियासत का विलय भारत में हुआ। उस समय यहां के नवाब रजा अली थे, जो 1930 में नवाब बने थे। विलय के समझौते के तहत नवाब ने रामपुर किला, जो 1775 में बनाया गया था, उसे सरकार को सौंप दिया। इसके साथ कई और संपत्तियां जिसमें रॉयल कॉम्प्लेक्स भी सरकार को दे दिया, जिसमें आज कलेक्टोरेट बना है।
  • बदले में सरकार ने नवाब को दो अधिकार दिए। पहला ये कि सारी संपत्ति पर उनका मालिकाना हक रहेगा और दूसरा ये कि शाही परिवार के गद्दी कानून के तहत सारी संपत्तियों का अधिकार उनके बड़े बेटे को मिलेगा।
  • 1966 में रजा अली की मौत हो गई। उनकी तीन पत्नियां थी, तीन बेटे और 6 बेटियां थीं। कानून के मुताबिक, उनके सबसे बड़े बेटे मुर्तजा अली उनके उत्तराधिकारी बने। साथ ही उनके पिता की सारी निजी संपत्ति का मालिकाना हक भी मुर्तजा अली को मिल गया। लेकिन 1972 में उनके भाइयों ने इसे सिविल कोर्ट में चुनौती दी।
  • रजा अली के पास उस समय 5 संपत्तियां बची थीं। जिसमें खासबाग पैलेस, बेनजीर कोठी और बाग, शाहबाद कोठी, कुंडा बाग और एक निजी रेलवे स्टेशन है, जिसे शाही परिवार के इस्तेमाल के लिए बनवाया गया था।

अदालतों में 48 साल तक चलता रहा मामला

  • 1972 में मामला सिविल कोर्ट में गया। वहां परिवार अदालतों के चक्कर ही काटता रहा और इस बीच मुर्तजा अली के बड़े बेटे मुराद मियां काबिज हो गए। 23 साल तक भी कोई फैसला नहीं आने के बाद 1995 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामला सिविल कोर्ट से अपने यहां ट्रांसफर कर लिया। 2002 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुर्तजा अली के पक्ष में फैसला दिया और सारी संपत्ति का मालिकाना हक मुर्तजा अली और उसके परिवार को ही दिया।
  • बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। वहां 17 साल तक चक्कर काटने के बाद 31 जुलाई 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का फैसला पलट दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, संपत्तियों का बंटवारा शाही परिवार के गद्दी कानून के तहत नहीं, बल्कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के नियमों के मुताबिक होगा।
  • इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने शाही परिवार की संपत्तियों का वैल्यूएशन करने का आदेश दिया। इसके लिए 31 दिसंबर 2020 तक का समय भी तय कर दिया।
खासबाग पैलेस 350 एकड़ जमीन पर बना है। इसकी खास बात ये है कि इसके चारों तरफ बाग हैं।

तो क्या संपत्ति का वैल्यूएशन हो गया?

  • हां। रामपुर की कोर्ट की निगरानी में ये वैल्यूएशन हुआ था। इसकी रिपोर्ट 22 नवंबर को ही सौंपी गई है। इसके मुताबिक, शाही परिवार की संपत्ति की वैल्यू 2 हजार 664 करोड़ रुपए है।
  • खासबाग पैलेस 350 एकड़ जमीन पर है, बेनजीर कोठी और बाग 100 एकड़ जमीन पर है, शाहबाद कोठी 250 एकड़, कुंडा बाग 12,000 स्क्वायर मीटर और नवाब का निजी रेलवे स्टेशन 19,000 स्क्वायर मीटर जमीन पर बना है।
  • शाही परिवार की अचल संपत्ति की कीमत 2,600 करोड़ रुपए आंकी गई है। जिसमें सबसे महंगा 1,435 करोड़ रुपए खासबाग पैलेस है, जिसे 1930 में बनवाया गया था। इस पैलेस को मिर्जा गालिब, बेगम अख्तर और फिदा हुसैन खान की मेजबानी के लिए बनाया गया था।
  • उनकी अचल संपत्तियों में कई महंगी पेंटिंग्स हैं। इनके अलावा कई विंटेज कारें, तलवारें, गोल्ड सिगरेट केस, क्रॉकरी, स्टैच्यू, आईने, कारपेट वगैरह हैं। इनकी कीमत 64 करोड़ रुपए आंकी गई है।

कितने लोगों में बंटेगी ये संपत्ति?
नवाब रजा अली के तीन बेटे और 6 बेटियों के परिवारों को मिलाकर कुल 18 हिस्सेदार हैं। इसमें कांग्रेस की पूर्व सांसद बेगम नूर बानो और पूर्व विधायक काजिम अली भी शामिल हैं।

खासबाग पैलेस का स्ट्रॉन्ग रुम। जिसका दरवाजा 15 दिन बाद गैस कटर की मदद से खोल पाए थे।

संपत्ति और होती, अगर हीरे-जवाहरात चोरी न हुए होते

  • 1930 में बनाए गए खासबाग पैलेस में एक स्ट्रॉन्ग रूम भी था, जिसे तोड़ा नहीं जा सकता था। इस स्ट्रॉन्ग रूम के अंदर कई बेशकीमती हीरे-जवाहरात और कई कीमतें चीजें होने का अनुमान था।
  • इस स्ट्रॉन्ग रूम को 1980 में बंद कर दिया गया था। इसे इसी साल मार्च में दर्जनभर कारीगरों ने 15 दिनों की मशक्कत के बाद खोला था। इसका दरवाजा 6 टन का था और इसकी चाबियां भी गुम हो गई थीं।
  • इसके बाद गैस कटर और कई मशीनों की मदद से इसे खोला जा सका। लेकिन जब इसे खोला गया तो यहां की तिजोरियों में थोड़े-बहुत सामान को छोड़कर बाकी सब गायब था।
  • दरअसल, 1980 में इस स्ट्रॉन्ग रूम से 60 किलो सोना और बेशकीमती हीरे-जवाहरात चोरी हो गए थे। इस मामले की जांच CBI ने भी की, लेकिन अभी तक इसका खुलासा नहीं हो सका है।


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Rampur Royal Family Net Worth; Know Everything About Nawab Raza Ali Royal Family Dispute


source https://www.bhaskar.com/db-original/explainer/news/rampur-royal-family-net-worth-everything-about-nawab-raza-ali-rampur-royal-family-dispute-127988060.html

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