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Friday, 21 August 2020

हेल्थ कैंप में बदले यहां के पंडाल, 126 साल बाद ऐसा होगा जब घरों में ही होगी गणपति की पूजा, चरण स्पर्श नहीं, सिर्फ मुख दर्शन होंगे

कल गणपति बप्पा विराजेंगे, कल से देश में गणपति उत्सव शुरू हो रहा है। श्रद्धा की कोई कमी तो नहीं है, लेकिन कोरोना की वजह से गणेश चतुर्थी की रौनक बाजार से गायब है। पंडाल सजाने का उत्साह नहीं है। करीब 126 साल बाद ऐसा होगा जब लोग घरों में ही गणपति बप्पा की पूजा करेंगे। इससे पहले 1896 में जब प्लेग फैला था, तो लोगों ने घरों में गणपति के कैलेंडर की पूजा की थी।

बृहन्मुंबई सार्वजनिक गणेशोत्सव समन्वय समिति के अध्यक्ष एडवोकेट दहिबावकर का कहना है कि हर साल मुंबई में 12 हजार सार्वजनिक पंडाल लगाए जाते हैं और 2 हजार 470 पंडाल रास्ते पर लगते हैं। लगभग दो लाख गणपति घरों में बैठते हैं। लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा।

गणपति बप्पा की पूजा करता हुआ पूजारी। कोरोना के चलते परिसर में भीड़ कम है।

वे कहते हैं कि कमेटी ने गणेश जी की 4 फीट की मूर्ति, आर्टिफिशियल तालाब में विसर्जन, ऑनलाइन दर्शन और मेडिकल कैंप लगाने का सुझाव सीएम उद्धव ठाकरे को दिया था, जो उन्होंने कुछ बदलाव के साथ मंजूर कर लिया।

तस्वीर पिछले साल की अंधेरी चा राजा पंडाल की है। पिछले साल धूम-धाम से यहां गणेशोत्सव मनाया गया था।

अंधेरी चा राजा : वर्सोवा की जगह आर्टिफिशियल तालाब में होगा विसर्जन
अंधेरी चा राजा का मुंबई के पंडालों में खास आकर्षण होता है। हर साल बॉलीवुड सेलिब्रिटिज यहां आते हैं। साल 2028 तक यहां मूर्तियों का डोनेशन बुक है। इस बार गणपति के चरण स्पर्श नहीं किए जा सकेंगे, सिर्फ दर्शन होंगे। साथ ही मूर्ति विसर्जन के लिए भी इस बार पंडाल के पास ही एक आर्टिफिशियल तालाब बनाया गया है, जहां मूर्ति विसर्जन किया जाएगा। इससे पहले अंधेरी से चार किलोमीटर दूर वर्सोवा में मूर्ति विसर्जन होता था, जिसमें करीब दो लाख लोग शामिल होते थे। महज चार किमी का सफर 36 घंटों में पूरा होता था।

गणेश पूजा को लेकर लोगों में उत्साह कम नहीं है, लोग मूर्तियां खरीद रहे हैं। कोरोना के चलते इस बार घरों में ही पूजा करना है।

कोरोना के चलते अंधेरी चा राजा की मूर्ति चार फीट की होगी। पिछले साल यह 9 फीट की थी। पंडाल की जगह मेटल का बना हुआ स्टेज होगा। पंडाल के पास ब्लड डोनेशन कैंप लगाया जाएगा। सोशल डिस्टेंसिंग के तहत एक वक्त में एक ही आदमी दर्शन कर सकेगा। इस साल का सबसे बड़ा बदलाव गणपति को विसर्जन के लिए ले जाने वाली ट्रॉली में किया गया है। उसे 12-15 की जगह केवल दो लोग खींचेंगे। इस ट्रॉली को पुणे से खास तौर से बनवाया गया है।

एवरशाइन मित्र मंडल : आईसीयू लैस एम्बुलेंस और डॉक्टर रहेगा 24 घंटे तैनात
एवरशाइन मित्र मंडल पंडाल का भी अपना जलवा है। यह मुंबई के मलाड इलाके का सबसे बड़ा पंडाल है। इस पंडाल की व्यवस्था देख रहे नावेडा पुतमन ईसाई हैं। लेकिन, बीते 30 सालों से मलाड में गणपति उत्सव का आयोजन कर रहे हैं।

वे बताते हैं कि हर साल यहां टीवी कलाकारों की खूब भीड़ होती थी। लेकिन, इस बार गणपति केवल डेढ़ दिन के लिए ही रहेंगे। स्टेज पर केवल पंडित जी ही रहेंगे। पंडाल के पास ही आर्टिफिशियल तालाब बनाया गया है, जहां विसर्जन किया जाएगा।

तस्वीर मुंबई के मलाड इलाके में बनने वाले सबसे बड़े पंडाल की है जहां अभी तैयारियां चल रही है।

पंडाल में एक आईसीयू से लैस एंबुलेंस और एक एमबीबीएस डॉक्टर 24 घंटे रहेंगे। दर्शन करने वालों को सैनिटाइजर और मास्क पंडाल की ओर से दिए जाएंगे। साथ ही लोगों को सैनिटाइज करने की भी व्यवस्था की गई है। टेंपरेचर चेक करने के बाद ही श्रद्धालुओं को पंडाल में जाने दिया जाएगा।

मुंबई के सायन इलाके में हर साल 50 पंडाल लगाए जाते हैं, लेकिन इस बार सिर्फ 20 ही होंगे। इस इलाके के पार्षद और बीएमसी में विपक्ष के नेता रवि राजा का कहना है कि इन 20 पंडालों में हेल्थ कैंप लगाए जाएंगे। आंखों की जांच, ब्लड डोनेशन, प्लाज्मा डोनेशन, नेत्रदान की व्यवस्था रहेगी। विसर्जन भी पंडालों के पास बनाए गए आर्टिफिशियल तालाबों में ही किया जाएगा। इसके लिए ईको फ्रेंडली गणेश जी की मूर्तियां खरीदी जाएंगी।

गिरगांव में खेतवाड़ी का राजा : 30 की जगह 3 फीट की मूर्ति

हर साल मुंबई में 12,000 सार्वजनिक पंडाल लगाए जाते हैं और 2470 पंडाल रास्ते पर लगते हैं। लगभग दो लाख गणपति घरों में बैठते हैं। लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा।

मुंबई में गिरगांव का गणेश पंडाल भी बहुत मशहूर है। इसे खेतवाड़ी का राजा कहा जाता है। यहां हर साल 25 से 30 फीट की गणेश की मूर्ति लाई जाती है, लेकिन इस बार केवल तीन फीट की मूर्ति होगी। शनिवार और रविवार को ब्लड डोनेशन कैंप लगाया जाएगा।

चिंचपोकली सार्वजनिक गणेशोत्सव मुंबई के सबसे पुराने पंडालों में से एक है। इस साल पंडाल की सबसे पुरानी परंपरा "गणेश आगमन सोहला" नहीं किया जाएगा। गणेश चतुर्थी के दिन होने वाली भव्य पूजा भी कैंसिल कर दी गई है। मंडल की ओर से जो डोनेशन इकट्ठा किया गया है, उससे जरूरतमंदों को मेडिकल इक्विपमेंट दिए जाएंगे।

लालबाग का राजा : यहां गणेशोत्सव को स्वास्थ्य उत्सव बनाया गया, अब तक 100 लोगों ने डोनेट किया प्लाज्मा
मुंबई के लालबाग, परेल और दादर का इलाका गणेशोत्सव के दौरान निखर उठता है। परिसर में हर बार की तरह इस बार भी भव्य पंडाल बनाया गया है। लेकिन, मूर्ति सिर्फ 4 फीट की ही रखी जाएगी। 4 अगस्त से परिसर में प्लाज्मा डोनेशन कैंप चल रहा है। 100 से ज्यादा लोगों ने प्लाज्मा डोनेट किया है।

कोरोना के चलते पंडालों में हेल्थ कैंप की व्यवस्था की गई है। कई जगहों पर ब्लड डोनेशन कैंप भी लगाए गए हैं।

गणेश गली के गणपति "मुंबई का राजा" के नाम से लोकप्रिय हैं। इस बार यहां रक्तदान शिविर के आयोजन की तैयारियां चल रही हैं। यहां के पंडाल में देश में सार्वजनिक गणेशोत्सव की नींव रखने वाले लोकमान्य बालगंगाधर तिलक की बड़ी सी प्रतिमा लगाई गई है। उनके कई कट-आउट भी लगाए गए हैं।

सजावट और जुलूस के खर्च में कटौती कर हर घर में आयुष काढ़ा, सैनिटाइजर और मास्क बांटेंगे

चिंचपोकली स्टेशन के पास पिछले 100 सालों से “चिंचपोकली के चिंतामणि” विराजते रहे हैं। इस बार गणपति की मूर्ति नहीं लगेगी, चांदी की मूर्ति से ही पूजा होगी। परेल इलाके के वागेश्वरी सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल के ट्रस्टी दीपक साल्वी बताते हैं कि इस साल उनका 75वां अमृत महोत्सव वर्ष है। मंडल ने इस साल धूमधाम से मनाने की योजना एक साल पहले तैयार की थी। लेकिन, कोरोना की वजह से मंडल अपने लाइटिंग, आगमन व विसर्जन के जुलूस के खर्च में कटौती कर अपने इलाके के प्रत्येक घर में आयुष काढ़ा, सैनिटाइजर और मास्क बांटने वाला है।

मुंबई में इन दिनों भारी बारिश हो रही है। इसलिए दुकानदारों ने मूर्तियों को ढंक दिया है ताकि बारिश में भीग नहीं पाए।

किंग सर्कल के जीएसबी की गणपति की ख्याति मुंबई के सबसे अमीर गणपति के रूप में है। यहां हर साल 5 दिन के लिए भगवान गणेश जी का आगमन होता है। कोरोना के चलते जिन श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की बुकिंग कराई हुई है, उनके घर कुरियर से प्रसाद पहुंचाने की व्यवस्था की गई है।



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After 126 years, Ganesh Chaturthi will be celebrated in this way, this time the feet of Ganapati will not be able to touch, only the face will be seen.


source https://www.bhaskar.com/db-original/news/after-126-years-ganesh-chaturthi-will-be-celebrated-in-this-way-this-time-the-feet-of-ganapati-will-not-be-able-to-touch-only-the-face-will-be-seen-127640226.html

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